جمعه ۲۳ شهريور
شعر شعر و شاعری
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در این دنیای وانفسا تن آسانی نمی بینم
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چه استقبال تلخی کردی از مهمان خود پاییز
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آمد از راه بهار عاطفه ها باریدند
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گفت که در مُلک غزل نیست مرگ
عشق بماند به جهان پایدار
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رنگ گیسویت طلایی ، دخترِ شهریوری
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از همان لحظه که در دام تو گیر افتادم
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چشمم به راحت مانده برگردی،خطر کن!
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ای دل تو از این زندگی و پای گرفتار چه دیدی؟
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خوب می دانم که دلتنگیِ من پایان ندارد
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عاقبت روزی بیاید از قفس آزاد باشی
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استکانت را بیاور امشب از گریه پُرم
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عاشقان را یکسره دیدار باشد بهتر است
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حریر دامن گل زخم دیده از خار است
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باز آمده تاریکی و غم باز هوار است
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قلبشان از حب من خالیست ، اما در عوض
با زبان خود به ظاهر دوستداران منند !
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با شیشهٔ دل بر تن تبدار چه گویم
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بریده ام نگاه از ، نگاه سرد و چشم تو
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باز هم از حلقهٔ چشم اشک من سر می شود
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زندگی پیدایش سبزی و زن! چون بستر است
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بر غربت و تنهاییِ خود بالیدم
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دردی که مرا کرده زمینگیر وخیم است
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هرگز نیا دور و برم غرق فریبم
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گشتم فدای نفاق در کِرد و کارِ تو
شد گوهرِ محبّتِ من، خاکسار تو
هرچه اندوخته بودم از راهِ اعتبار
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گر که گاهی خوش نمی گردد به کامت روزگار
یا که سنگی سخت می بندد به گامت روزگار
...
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بادی شدم رقصان میان هر خیابان
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نگاهت جان تازه می دهد بر قلب این مرده
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زندگی چیزی نبودی جز خشونت جز ریا
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تو از تنهاییِ شب های آغوشم خبر داری؟
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می روم تا بنشینم به تماشای خودم
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بریده از همه دلم به درد غم اسیر شد
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زندگی از نام تو جریان گرفت
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چشم من پنهان برایت گریه می کرد از جفا
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رنج و محنت های پاییزی به پایان می رسد
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شانه ای ! ساحلی آرام ،دلت دریایی
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دیشب میان بسترم از زوزهٔ باد
سوزنی در کوهی از کاه است شکل بخت من
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گیرم که مرا دیگر از امروز نخواهی
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آمدی چرخی زدی در این دل بیمار من
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وقت آن شد که نقاب از رخِ خود برداری
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چار طاق منظّم که میانش همه اعظم
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اگر بیرون نیایند؛
فروپاشیم حتمیست
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عمر پر حادثه ام ، قصّه ی مبهم دارد
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فردای آن روزی که رفتی عکسمان را
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روزی ک دستم را گرفتی باورت کردم
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نشستم با جسارت در دلت با عشق و طنازی
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عبور اتفاقیات، به سنگهای محتمل
دقیق پرسه میزنی، تفاهمی کبود را
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جان بودی و جان مرا بردی و حاشا نیست
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جان من دور نشو ، دل ندهی دست کسی
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آمدم رنگ زنم چینی تنهایی تو
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گفتی که باز، پنجره ها باز می شود روزی
سازی برای خاطرِ ما ساز می شود روزی
گفتی که کوچه های پراز برگ
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نسیم صبح را بی وقفه بر فرمانِ خود کردم
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دوباره دیدمت در خواب از جان گریه می کردم
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اول از ماندن خیال عشق را راحت کنید
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امشب از حوصله ی بی تو شدن آشوبم
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عمری از بی کسی ام سخت به خود پیچیدم
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برف پیری خودنمایی می کند روی سرم
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برام دیگه این نفسا ، ممنوعه شد ممنوعه شد
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برای ثبت اهدافت نزن جار و نکن بلوا
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تا که چرخاندم سرم طوفان امانم را گرفت
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اگر گوش می دادم؛
بهترین شعر را برایتان مینوشتم!
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بد ت، هیچ درختی به جوانه نرسید
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صدایم ک خداوندا که من از دهر می ترسم
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گر اعتبار،گرآبرویی دارم....
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زمین جای قشنگی نیست راه آسمانت کو ؟
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یک شعر بلند است تماشای نگاهت
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پدری دارم که دستانش در دست خداست
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موهای بی شانه میان باد و طوفانیم
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یک نفر آمد همه رنجِ جهانم را گرفت
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می زنم بر سر دیوان غزل چوب حراج
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برای خوب شعر گفتن؛
باید مستِ مست باشی
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پا گذارید به آرامش و دنیای کسی
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مسخر رام ماست ماه و ستاره
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در ذهن گیج و خستهٔ من یک سوال است
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🌹فاطمه ای مادر پهلو شکسته.....
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کفش های پاره ات را گوشه ای پرتاب کن
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می بینم پابِماهی...
ای شعر زیبا!
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ای که برای بی هنران بهتر از گلی
باور نمی کنم، تو همان آسمان جُلی
باور نمی کنم، که تو با این همه اد
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