شنبه ۶ مرداد
شعر موج نو
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بعد از این فاصله ها
پشت یک عمر،خزان
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گفتم دختر جان
یک بار دیگر اسمت را بگو...
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در سیاهی های شب
اندوهِ این مرداب ها
میبرَد پرواز را از یاد ما
میشود پی در پی آغازی دگر
هر غمی را
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مجوز بده آزاد شوم
دل من بند نفسهای تو زندانی شد
سالها من و یک بوته ی رَز
دیوار به دیوار زما
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چه کسی
او را این چنین آفریده؟
خدا باید یک نابغه باشد...!
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مردی میان دو راهیِ
عشق و غرور...
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اگر گوش می دادم؛
بهترین شعر را برایتان مینوشتم!
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زیبارویان همیشه...
کمی آزار هم دارند...!
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خوب باشیم. و خوب ببینیم. تا خوب باشند و خوب ببینند.
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آن عاشق...
سال هاست چشم به راه است
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میترسیدم...
از قولش پشیمان شود!
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برای خوب شعر گفتن؛
باید مستِ مست باشی
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اندوهگین
مثل درخت زیتونی در بیابان
و نگران
مثل پرتقالی افتاده در اتوبان
از بار پیرمرد میوه فروش
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می بینم پابِماهی...
ای شعر زیبا!
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آنها هم فهمیده اند...
او رفته!
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همه میدانند
غربت...
چه غمِ جان گدازی دارد...
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از فرشتهٔ مرگ
خواهشی کردم...
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اولین دوچرخهٔ روستا را...
من داشتم!
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با اجازهٔ خودت...
یک مهره جلو میفرستم
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تهوع شدید...
در یک لحظه ایِ بالا آوردن!
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هم اکنون...
فرزندت را به دنیا می آورم!
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قلبم تاصبح برایش شعر گفت...
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اگر هردویمان
قاصدک بودیم...
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ریشه اش در قلبمان بودُ
از خون پر عشقمان تغذیه می کرد!
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ومن چون پرنده ای
بی آشیان
تا به ابدیت در کف دستان
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سبب همنشینی ما...
زنیست بسیار زیبا!
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من خاری هستم؛
بالای کوهِ آدوین
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هفت غم
از هفت مسیر...
حمله کردند!
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قلمم... بی آنکه بدانم؛
عاشق کاغذی شده بود...
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و صرفیدن ها...
هیچ وقت ماندنی نیستند!
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به راستی چیزی به نام عشق، هست؟!
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نزد هر شاعری ببینمت؛
دیگر نمی نویسم...!
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خواهم تو شوم... قدر تو سارا
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شاید بارها از کنار هم گذر کردیمُ
هیچ کدام نفهمیدیم...
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آن لحظهٔ باشکوهِ پیوستن...
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قلبم گهگاهی...
می بیند تورا!
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از نوک انگشت پا...
تا فرق سرم، نیش است
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چشمهایت خلاف انصاف است
و من ضعیف تر از برگ زرد پاییزم
به روی شاخه درخت
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فکرِ ترازو باشد...
عاشق نیست!
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شکسته ام...
اما دوا نمی کنم!
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اضمحلال در زیستن و کوششی منفک!
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بخوان...
بخوان درد همنوعت را در اشعارم!
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چه کسی خیس شد !
یا که دید ؟
بی شک آنکه باران خواند ، فهمید
که شقایق چه گلی است
می رم امشب
تنها
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امسال زمستان؛
دائم می لرزم...
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چشمانش دومصرع
از قصیده ای ناسرودنیست
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شعری...
با تشبیه لبانش به چشمه بهشتی
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چه فایده ماندنِ دونفر زیر یک سقف؟!
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ما...
خریدنی نبوده و نیستیم!
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دختر سی سالهٔ کتاب فروش...
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