جمعه ۷ ارديبهشت
اشعار دفتر شعرِ شعر های باران خورده شاعر محمد شیرین زاده
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تنش از جنس خاورمیانه بود
رنجور و خسته
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سپاسگزارم
سپاسگزارم باران
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پرنده ای که
به تنهایی عادت کرده
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شاید روزی اگر می آمدی
شعر هایم دیگر
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مرا ببخش
اگر هنوز به تو فکر می کنم
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می خواهم با واژه هایم
تو را به قدیسه ای بدل کنم
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بوسیدمش
بي بهانه
سيب گونه هايش
رسيد...
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هر پیامبری معجزه ای داشت
یکی نفسش
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هر روز شماره ات را می گیرم
اپراتور می گوید :
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حالا که رفته ای
من به این می اندیشم
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از میان تمام رقص ها
رقص تانگو را
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زنی که
سر بر شانه ات می گذارد
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تو را می خواهم
برای تمام روز های بارانی
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نــگاهم میـکنی و
دلــم گــرم مـی شود
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باران برای من و تو می بارد
برای من و تویی که
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خواهش می کنم
زود تر از من بمیر
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" دلتنگم "
آن قدر که می توانم
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با نوشتن هر شعر
یک قدم به تو
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مـن تـوانستم بـی تــو زنـدگی کـنم
بـرای خـودم چـای بـریزم
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بــاران شـروع بـه بـاریدن کـرده بـود
او چــشم هـایش را بـست
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گل شمعدانی من
به نوازشگری دست تو
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چــشمت را بـبند
هــر جـا هــستي
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هـنوزم عـاشق تـنهایی رفـتن زیـر بـارونم
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من همانم که سکوتم را فریاد زده ام
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سالها می گذرد
اما دمی خیال تو
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آینده را می بینم که دیگر
دستانم بی دست های تو با
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در غروب سرخ آبی
می سازم چند قایق کاغذی
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به گمانم باید
زندگی
گل سرخی باشد
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جــیرجیرک تــوی تــاریکی
بـه کــدامین درد
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عاشقانه ترین شعرم را
روزی در آغوش تو خواهم سرود
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درخــت هــای کـنار جــاده
بــاید عـــاشق بــاشند
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مــن در شـــعر خــلاصه مــی شوم
و تـــو در بـــوسه
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آدمی ناتوان به دنیا می آید
و ناتوان از دنیا می رود
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دست هایت را به من بده
و با من قدم بزن
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عزیزم حق بده
وقتی دستت را میگیرم
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صبح پاییز امروز چه زیبا بود
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دوستم داشته باش
اندازه اش مهم نیست
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وقتی به اسارات چشم هات در اومدم
معنی عشق رو فهمیدم
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بعد از اینکه رفتی
میتونستم خیلی راحت فراموشت کنم
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شاخه گلی در دستانم
نم نم بارانی در چشمانم
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اسمت مثل بارون ...
روی شیرونی قلبم
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گاه گاهی که دلم می گیرد
بر تن پنجره ها می نویسم باران
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اگر تو باز نگردی
چه کسی گرمی خورشید را
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یاد آن روز بخیر
که میان من و تو
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بی تو شبیه شاخه گلی من لگد شدم ...
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سالهاست غرق این پندارم ...
که چرا کوچه رفتن تو
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یک نفر از دور مرا می خواند
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دلم باران می خواهد
با یک پنجره
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ای درخت ...
ای روح سبز طبیعت
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معشوق من ...
هر وقت برای خلق یک عاشقانه
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با یاد تو ...
کوچه باران را قدم زدم
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هر وقت باران می بارد
می گویند : دریا طوفانی می شود
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ثانیه به ثانیه ...
نبودنت تشدید می شود ...
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هر شب آرزوم ...
رویای تو شده ...
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اگر تمام شاعران جهان را ...
یک جا جمع کنند ...
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هنـوز ،
تــه مـانـده ی بـوســه ات را ،
روی لـبــم می مکــم ...
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ما درد دلمان را ...
روی تکه های کاغذ نوشتیم ...
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در شبی که غم فراوان است ...
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من شاعر نبودم ...
تنها رهگذری بودم ...
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