جمعه ۱۶ آذر
اشعار دفتر شعرِ غزل شاعر یاسر کریمی
|
|
کویر می نگرد قطره قطره باران را
|
|
|
|
|
نیامدی و امیدم به صبح فردا نیست
|
|
|
|
|
هر که از عشق سخن گفت ببوسم دهنش
|
|
|
|
|
دوش برای دیدنت جور سحر کشیده ام
|
|
|
|
|
زینب فقط که زینت نام پدر نبود
|
|
|
|
|
من از تنهایی شبهای گورستان نمی ترسم
|
|
|
|
|
مگر بی وفا بین ما کینه ای بود
|
|
|
|
|
عاشقی جلوه ی لبخند به رخسار تو بود
|
|
|
|
|
کربلا را بعد از این در کربلا معنا مکن
|
|
|
|
|
عشق تو شد آتش و من همچو دود
|
|
|
|
|
تنم ار شفا نگیرد صنما ز آفتابت
|
|
|
|
|
انتخابی اصلح آوردم فقط تعجیل کن
|
|
|
|
|
که گفته قسمت ما بوده در خزان باشیم
|
|
|
|
|
آتش زمهربانان بر جسم و جان ندارم
|
|
|
|
|
هر که پروانه شود حال مرا می فهمد
|
|
|
|
|
خفقان چنگ زده بسته گلوی وطنم
|
|
|
|
|
مدعی گفت که من دین خدایی دارم
|
|
|
|
|
گر نبینی التماسم دیده گریان چون کنم
|
|
|
|
|
تا پای جان شدیم و امید وصال نیست
|
|
|
|
|
ساز غزل با دل من کوک نیست
|
|
|
|
|
مه ندارد جلوه ای ای یار گل اندام من
|
|
|
|
|
هم مدرک و زور و اعتباری پارتی
|
|
|
|
|
ای برادر روزه بر افکار کن
|
|
|
|
|
فریاد اگر ز زورق عشقت برون شوم
|
|
|
|
|
مرا به طعنه شکستی چرا گمان داری
|
|
|
|
|
نمیدانم چه در سر داری ای عشق
|
|
|
|
|
عاشقان را جلوه در محراب نیست
|
|
|
|
|
درد دوری تو را باده مصفا نکند
|
|
|
|
|
دنیا به گذشتن و گذارش زیباست
|
|
|
|
|
بر سر سنگ مزاری پدرم گفت این است
|
|
|
|
|
مهدی به زخم کهنه ی ما التیام نیست
|
|
|
|
|
چون بهاران بیقرارم در هوایت کیستی
|
|
|
|
|
اینجا به نقاب شاعری آمده ام
|
|
|
|
|
امشب به هوایت نگرانم باران
|
|
|
|
|
گفتم از روزنه عشق بیا گفتی نه
|
|
|
|
|
به یاد همه ی باباهایی که بینمون نیستن
|
|
|
|
|
بند تسبیح همه عالم امکان ادب است
|
|
|
|
|
به تو بد، چنان نکردم که به مرگ من رضایی
|
|
|
|
|
ابر خیالم نگر آمده از کوی یار
|
|
|
|
|
دنیا ره عاشقی یه ما یاد نداد
|
|
|
|
|
آری ز بوی مهر جنان می شود جهان
|
|
|
|
|
کجا توان گله بردن مگر به ساحت دوست
|
|
|
|
|
ما را بسر ز عالم بالا صدا کنند
|
|
|
|
|
برخیز که گویا غم عالم بسر امد
|
|
|
|
|
چنان در قالب دنیا،فرو رفته تن زارم
|
|
|
|
|
من این دنیای گردون را ز بن ویرانه می بینم
|
|
|
|
|
تقدیم به تمام عزیزانی که در کنار ما نیستند
|
|
|
|
|
ای صبح سحر نوبت بیداد زمان شد
|
|
|